Trading Psychology Kya hai ? / ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है?

Trading Psychology Kya hai: दोस्तों अक्सर आपने यह जरूर सुना होगा कि ट्रेडिंग में 20% स्ट्रेटजी महत्वपूर्ण होती है और 80% साइकोलॉजी महत्वपूर्ण होता है। ट्रेडिंग करते वक्त कई बार आपके साथ होता है, कि जब आप ट्रेड करते हो तब आपको लगता है कि आपका वह ट्रेड प्रॉफिट देकर जाएगा, किंतु थोड़े टाइम प्रॉफिट में रहने के बाद वह ट्रेड अंत में लॉस में बदल जाता है। इसका मतलब यह है कि आपको ट्रेडिंग करनी तो आती है और आपकी स्ट्रेटजी में भी कोई दिक्कत नहीं है किंतु कहीं ना कहीं आप ट्रेंडिंग साइकोलॉजी को नजर अंदाज कर देते हैं।

Trading Psychology Kya hai

आप अगर अब भी ट्रेडिंग साइकोलॉजी को सीखना नहीं चाहते हैं तो आपको शेयर बाजार में ऐसे ही लॉस होता रहेगा और आप भी थोड़ी समय के बाद शेयर बाजार को छोड़ देंगे और आप भी उन्हीं 90% लोगों में शामिल हो जाएंगे जो ट्रेनिंग में लॉस करते हैं। किंतु यदि आपने हमारे इस Trading Psychology Kya hai ? / ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? ब्लॉग को अच्छे से समझ लिया और अपनी ट्रेडिंग साइकोलॉजी को ठीक कर लिया, तो आप भी उन 5% लोगों में शामिल हो सकते हैं जो शेयर मार्केट से पैसा कमा रहे हैं।

Trading Psychology Kya hai ? / ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है?

ट्रेडिंग साइकोलॉजी का मतलब आपकी मानसिकता से होता है, जो पूरी तरह आपकी भावनाओं के आधार पर उत्पन्न होती है। यानी यदि आप भावना रहित होकर किसी ट्रेड को लेते हो, तो इससे आपके मनोविज्ञान पर किसी प्रकार का असर नहीं होता, जिससे आपके सोचने की शक्ति बाधित नहीं होती और आप सही फैसला ले पाते हो।

वहीं यदि आप डर और लालच जैसी भावनाओं में आकर शेयर बाजार में कोई ट्रेड लेते हो, तो इससे आपके मनोविज्ञान पर असर पड़ता है और आप जिस प्रकार का निर्णय लेते हो वह भावनाओं से युक्त होता है, भावनाओं से युक्त निर्णय की वजह से आपके मनोविज्ञान पर असर पड़ता है और आप गलत निर्णय ले लेते हो, जिससे आपको नुकसान का सामना करना पड़ता है।

इन दोनों के तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं की ट्रेनिंग साइकोलॉजी और कुछ नहीं बल्कि भावना से रहित और भावना से युक्त होकर शेयर बाजार में ट्रेड लेने का निर्णय लेना ही ट्रेडिंग साइकोलॉजी होता है। जब आप भावनाओं से रहित होकर ट्रेड लेने का निर्णय लेते हो तो आप ज्यादातर समय सही और लॉजिक के आधार पर ट्रेड लेते हो और जब आप भावनाओं से युक्त होकर ट्रेड लेते हो तो आपका निर्णय अक्सर गलत ही होता है।

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तो इसका मतलब यह की आपको अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखना आपके लिए अति आवश्यक हो जाता है और जब तक आप अपनी भावनाओं को नियंत्रण में नहीं रखोगे, तब तक आप अपनी सोच को सही नहीं कर पाओगे और जब तक आपकी सोच सही नहीं होगी, तब तक आप ट्रेडिंग से पैसा नहीं काम पाओगे, अब हमारे सामने सवाल अब यह आता है, कि

भावनाओं पर नियंत्रण कैसे रखें ?

हमने यहां कुछ प्रमुख बिंदुओं के आधार पर यह बताने का प्रयास किया है, कि आप अपनी भावनाओं को नियंत्रण में कैसे रख सकते हैं :-

1) लॉजिक/Logic के आधार पर ट्रेड ले

यानी जब आप शेयर बाजार में कोई ट्रेड लेने वाले होते हो और आपको यह लग रहा होता है कि यह शेयर का प्राइस यहां से ऊपर जाएगा, तो उसे वक्त अपने आप से यह प्रश्न अवश्य करें कि, यह ट्रेड ऊपर क्यों जाएगा? और मुझे यह ट्रेड क्यों लेना चाहिए?

इससे यह होगा कि आप यह जान और समझ पाएंगे कि आप किस चीज के आधार पर बहुत ट्रेड ले रहे हो, और अगर वह चीज गलत साबित होती है तो आप आगे के ट्रेड लेते वक्त उसे चीज का ध्यान अवश्य रखोगे और ऐसे करते-करते एक दिन आप सही चीजों पर काम करने लगोगे और आपको पैसा बनाने से कोई नहीं रोक पाएगा।

2) रिस्क और टारगेट निर्धारित करें

अगर आप अपने भावनाओं को नियंत्रण में रखना चाहते हैं तो आपको किसी ट्रेड में कितना रिस्क लेना है, यह ट्रेड लेने से पहले तय करना चाहिए और इसके साथ-साथ आपको उसे ट्रेड से कितना रुपया चाहिए यानी आपको उसे ट्रेड का एक टारगेट सीमा भी तय करना पड़ेगा। ऐसा करने से ना तो आप में ज्यादा लालच आएगा और ना ही आप में ज्यादा पैसा खोने का डर भी होगा, तो इसलिए हमेशा ट्रेड लेने से पहले रिस्क और टारगेट अवश्य तय करें।

3) नुकसान रिकवर करने के बारे में ना सोचे

शेयर बाजार से कभी ना पैसा कमा पाने का एक कारण यह भी है, कि लोग लॉस हो जाने के बाद शेयर बाजार के बारे में ना सीखकर शेयर बाजार से बदला लेकर अपना नुकसान रिकवर करने का प्रयास करते रहते हैं। लोगों के दिमाग में यह बात नहीं आती है कि अगर वह शेयर बाजार को सीख लेंगे तो एक दिन स्वतः ही वह अपना लॉस रिकवर कर लेंगे और उससे ज्यादा पैसे भी कमाएंगे।

लेकिन इन लोगों के दिमाग में हमेशा शेयर बाजार से अपना लॉस रिकवर करने का ही होता है, ना की बाजार को सीखने और समझने का, इसलिए हमेशा ध्यान रहे अगर आपका शेयर बाजार में लॉस हो चुका है तो आप शेयर बाजार को सीखने का प्रयास करें, ना की अपने दिमाग में लॉस रिकवर करने के बारे में सोचकर अपने मनोविज्ञान पर असर डालने का।

4) किसी भी ट्रेड से उम्मीद ना रखें

जब आप यह किसी भी ट्रेड से उम्मीद नहीं करेंगे कि वह ट्रेड आपको प्रॉफिट देकर ही जाएगा या उसे ट्रेड में आपको नुकसान हो जाएगा, तो आप कुछ खोने या पानी के इस चक्र से बाहर निकल आएंगे, जो एक ट्रेडर के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। आप बस अपनी सही एनालिसिस और स्ट्रेटजी के आधार पर ट्रेड लें और मार्केट आपको जिस प्रकार का फल देता है आप उसे स्वीकार कर ले तथा उसे अवश्य सीखें।

5) क्षमता के अनुसार रिस्क ले

यानी यदि आपके द्वारा लिए गए ट्रेड में आपको लॉस हो जाता है तो वह लॉस आपकी आय का एक प्रतिशत हिस्सा ही होना चाहिए। यानी अगर आप ₹50000 महीना कमाते हैं तो आप एक ट्रेड में ज्यादा से ज्यादा ₹500 ही रिस्क ले, क्योंकि अगर आप ज्यादा रिस्क लेंगे तो आपके मनोविज्ञान पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, जिससे आपकी भावनाएं आपको सही निर्णय लेने से बाधित करेंगे, इसलिए हमेशा ही अपनी क्षमता के अनुसार ही रिस्क ले।

6) ओवरट्रेड ना करें

अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग करते हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि आप ओवर ट्रेड ना करें, आप ज्यादा से ज्यादा एक या दो ट्रेड ले सकते हैं, अगर आप ओवर ट्रेड करेंगे तो हो सकता है कि आपको दो या तीन ट्रेड में प्रॉफिट हो, लेकिन चौथे ट्रेड में आप अपना सारा पैसा गवां सकते हैं, जो आपको एक प्रॉफिटेबल ट्रेड बनने से रोकेगा। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि हर दिन एक या दो ट्रेड ही ले चाहे उसमें आपको लॉस हो या प्रॉफिट हो।

7) ट्रेडिंग एक प्रक्रिया है इसलिए धैर्य रखें

शेयर बाजार में अक्सर लोग यह सोचते हैं कि अगर वह ट्रेडिंग करेंगे तो रातों-रात लखपति या करोड़पति बन जाएंगे, किंतु हकीकत में यह बिल्कुल भी नहीं होता है।उदाहरण के लिए अगर आप किसी के पास नौकरी करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको कई सालों की मेहनत करनी पड़ती है, कितने सारे एग्जाम्स देने पड़ते हैं तब जाकर आपका कहीं सिलेक्शन हो पता है, ट्रेडिंग भी इसी प्रकार का एक प्रक्रिया है यह एक कौशल है, जिसे आपको सीखना पड़ेगा और इसमें आपको काफी समय भी लग सकता है, इसलिए अगर आप ट्रेडर बनना चाहते हैं तो धैर्य रखें।

8) बीते हुए ट्रेड को एनालाइज करें

शेयर बाजार में अक्सर वही लोग आगे बढ़ते हैं जो अपनी बीती हुई गलतियों से सीखते हैं, अगर आप की गलतियां करते हो, तो आपको भी उसे सीखना अवश्य चाहिए। क्योंकि जब तक आप अपनी गलतियों से नहीं सीखोगे तब-तक आप आगे नहीं बढ़ पाओगे। इसलिए यदि आपको किसी भी ट्रेड में नुकसान हो जाता है तो आप यह जानने की कोशिश अवश्य कीजिए कि आपको नुकसान आपको क्यों हुआ है? और अगली ट्रेड में वह नुकसान करने से बचे।

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निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि आप हमारे इस Trading Psychology Kya hai ? / ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? ब्लॉग से ट्रेडिंग साइकोलॉजी के बारे में अच्छे से समझ लिए होंगे, इसके साथ-साथ आप अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित कर सकते हो इसके बारे में भी आपको जानकारियां मिल गई होगी। अगर आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर कीजिएगा।

Disclaimer

इस ब्लॉग में जिस भी प्रकार का नजरिया और निवेश करने के लिए टिप्स बताए गए हैं, यह मुख्यतः लेखक के द्वारा बताए गए है, ना तो इस StockVastu.com वेबसाइट के द्वारा और ना ही इसके मैनेजमेंट के द्वारा। शेयर बाजार में निवेश करना और ट्रेडिंग करना काफी जोखिमों भरा काम है। StockVastu.com आप सबों से यह अनुरोध करता है कि किसी भी प्रकार के निवेश करने से पहले आप अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल जरूर करें या किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें ।

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