ETF Kya Hota hai: ETF क्या होता है?, Nifty BeES क्या होता है? इस तरह के सवाल अक्सर शेयर बाजार में आने वाले शुरुआती लोगों के पास होती है। क्या आपको पता है, ETF का मार्केट शेयर, शेयर बाजार में अंतिम पांच सालों में 20 गुना से भी ज्यादा बढा है। तो आखिर ऐसी क्या खास बात होती है ETF में, आज हम लोग इस ब्लॉग में जानेंगे। इसके अलावा ETF कैसे काम करता है? कितने प्रकार के ETF होते हैं?, ETF का मार्केट क्यों बढा है? इसके अलावा और भी बहुत कुछ ETF के बारे में हम लोग इस ETF क्या होता है? (ETF Kya Hota hai) / ETF मैं निवेश कैसे करें? ब्लॉग में जानेंगे।
ETF क्या होता है? / ETF Kya Hota hai
ETF का फुल फॉर्म होता है “एक्सचेंज ट्रेडेड फंड”, जैसे जब कोई फंड्स अपना पैसा स्टॉक में लगाने के बजाय इंडेक्स के कॉम्पोनेंट्स में लगाकर इंडेक्स फंड बनाते है, लेकिन इन इंडेक्स फंड में आप किसी और स्टॉक की तरह ट्रेड नहीं कर पाते हैं। जबकि ETF का फुल फॉर्म ही “एक्सचेंज ट्रेडेड फंड” होता है, जो आपको स्टॉक के जैसे ही ट्रेड करने की अनुमति भी देता है, इसलिए हम इन अलग प्रकार के इंडेक्स फंड को ETF कहते हैं।
दूसरे शब्दों में ऐसे इंडेक्स फंड जिसमें आप निवेश करने के अलावा ट्रेड भी कर सकते हैं, तो उसे हम ETF कहते हैं, ETF को खरीदने या बेचने के लिए डिमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है।
ETF कैसे काम करता है?
शेयर बाजार में ETF एक स्टॉक की भांति कार्य करता है, जिस प्रकार कोई कंपनी अपना आईपीओ लाकर निवेशकों से पैसा लेती है, ठीक उसी प्रकार ETF भी अपना NFO यानी न्यू फंड ऑफर लाकर निवेशकों से पैसा लेती है और किसी भी इंडेक्स को चुनकर उसके कॉम्पोनेंट्स के वेटेज के आधार पर उसमें निवेश कर देती है। जिस प्रकार से आईपीओ में निवेश करने वाले निवेशकों को अलॉटमेंट के बाद शेयर दिए जाते हैं, उसी प्रकार ETF में निवेश करने वाले निवेशकों को “यूनिट्स” दिए जाते हैं। ये यूनिट्स एक्सचेंज पर स्टॉक की भांति ही ट्रेड करने लगता है, जिसे ट्रेडर खरीद या बेच सकते हैं।
ETF कितने प्रकार के होते हैं?
भारत में ETF मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:-
1) Equity ETF
जब कोई ETF निवेशकों से पैसा लेकर इक्विटी यानी स्टॉक में निवेश करता है, तो उसे हम Equity ETF कहते हैं। इक्विटी ETF में मुख्यतः फंड, इंडेक्स के कॉम्पोनेंट्स जो स्टॉक होते हैं, उनके वेटेज के आधार पर उसमें निवेश करते हैं। भारत का पहला इक्विटी ETF का नाम Nifty BeES है, जिसे 2002 में लॉन्च किया गया था।
2) Debt ETF
जब कोई ETF निवेशकों से पैसा लेकर Bonds के अंदर निवेश करता है, तो उसे हम Debt ETF कहते हैं। बॉन्ड हर प्रकार के हो सकते हैं, सरकारी बॉन्ड भी हो सकते हैं तथा प्राइवेट बॉन्ड भी हो सकते हैं। इस प्रकार के बॉन्ड ईटीएफ में निवेश करने का एक फायदा यह होता है, कि इसमें लिक्विडिटी काफी ज्यादा होती है, आप किसी भी समय इस बेच या खरीद सकते हैं। भारत में 2004 में Liquid BeES नामक Debt ETF की शुरुआत हुई थी।
3) Commodity ETF
ऐसे ETF जो कमोडिटी यानी गोल्ड में निवेश कर सकते हैं, सिल्वर में निवेश कर सकते हैं या तेल में निवेश कर सकते हैं या किसी अन्य प्रकार के कमोडिटी में निवेश कर सकते हैं, उसे हम Commodity ETF कहते हैं। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय गोल्ड ईटीएफ होते हैं। भारत में 2007 में Gold BeES नामक Commodity ETF की शुरुआत हुई थी, गोल्ड ईटीएफ के कारण ही भारत में ETF निवेश लोकप्रिय हुआ था।
ETF का मार्केट कैसे ग्रो हुआ?
2015 के डाटा के अनुसार ETF में AUM यानी एसेट अंडर मैनेजमेंट लगभग 15000 करोड रुपए का था, जो मार्च 2021 में 20 गुना बढ़कर 2,90,000 करोड रुपए का हो गया था। 2015 तक ETF का मार्केट म्युचुअल फंड के कंपैरिजन में केवल 1% ही था, लेकिन आज यह बढ़कर 7% तक हो गया है। 2009 में गोल्ड इटीएफ का मार्केट शेयर 51% का था, जो 2013 में बढ़कर 88% तक हो गया। 2014 में जब नई सरकार आई तो सरकार ने CPSE ETF लॉन्च किया तथा 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ भी आया, जिसके कारण ETF में लिक्विडिटी बढ़ गई और लोग ज्यादा मात्रा में ETF को खरीदने और बेचने लगे।
ETF को लोग क्यों पसंद करते हैं?
लोगों के ईटीएफ को पसंद करने का एक कारण है, इसका एक्सपेंस रेश्यो का काम होना। यदि आप म्युचुअल फंड में निवेश करोगे, तो उसमें एक्सपेंस काफी ज्यादा होती है। लेकिन इंडेक्स फंड में एक्सपेंस रेश्यों 0.1% से 0.3% के बीच होता है, जो काफी कम है और इतना ही एक्सपेंस ईटीएफ में भी होता है। हालांकि इक्विटी ईटीएफ में एक्सपेंस रेश्यों 0.01% ही शुरू होता है तथा Debt ETF मे भी एक्सपेंस रेश्यो 0.1% से 0.3% के बीच होता है। ETF में सबसे महंगा एक्सपेंस रेश्यो गोल्ड ईटीएफ का होता है, जिसमें 0.5% से 1% तक एक्सपेंस रेश्यो चला जाता है।
ETF का टैक्स विवरण :-
ETF में टैक्स मुख्यतः कैपिटल गेन्स पर लगता है, यानी यदि आपको ईटीएफ में प्रॉफिट होगा तो ही आपको टैक्स देने की जरूरत होती है। यदि आपको किसी निवेश में नुकसान हो जाता है तो उसे पर आपको किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता है।
● यदि आपने 1 साल के अंदर इक्विटी ईटीएफ में निवेश किया है और आपका प्रॉफिट एक लाख से कम है, तो उस पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता है। यदि आपने शॉर्ट टर्म के लिए निवेश किया है और ₹1,00,000 से ज्यादा का प्रॉफिट है, तो आपको उसके ऊपर 15% का टैक्स देना पड़ेगा। यदि आपने लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट किया है और आपका प्रॉफिट 1 लाख से ज्यादा है तो आपको 10% का टैक्स देना पड़ेगा। इसके अंदर इन्डेक्सियेनेशन बेनिफिट्स नहीं मिलते हैं
● Debt ETF तथा Gold ETF एक ही तरीके से टैक्स स्लैब के अंर्तगत आते हैं, यानी यदि आपने 3 साल से पहले अपना निवेश बेच दिया तो उसे पर आपको इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होता है और यदि आपने 3 साल से अधिक समय के बाद अपना निवेश बेजा तो उसे पर आपको 20% के हिसाब से टैक्स देना होता है। यह टेक्स भी आपको तभी देना पड़ता है जब आपको अपने ETF निवेश में प्रॉफिट होता है, इसमें आप इन्डेक्सियेनेशन बेनिफिट्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
ETF में निवेश क्यों करें?
शेयर बाजार में ETF ही एक ऐसा निवेश है, जिसमें आपको एक्सपेंस 0.01% से शुरू होता है, जो आपको किसी और एसेट्स में निवेश करोगे तो आपको इतना काम एक्सपेंस किसी भी निवेश में नहीं मिलेगा और यदि एक्सपेंस इतना काम है, तो आपको कैपिटल गेन्स ज्यादा मिलता है। इसके अलावा ETF को स्टॉक के जैसे ही आप किसी भी समय खरीद और बेच सकते हो।
ETF का ट्रैकिंग एरर क्या है?
ट्रैकिंग एरर का मतलब होता है, कि यदि कोई इंडेक्स 1 साल में जितना भी परसेंट का रिटर्न देती है, उसके हिसाब से उसमें निवेश किए गए ईटीएफ के द्वारा कितना पर्सेंट का रिटर्न दे रही है और उसके बीच के अंतर को ट्रैकिंग एरर कहते हैं।
उदाहरण के लिए अगर निफ्टी 50 इंडेक्स 1 साल में 15% का रिटर्न दे रही है तथा उसमें निवेश किए गए ईटीएफ के द्वारा 14% का रिटर्न दिया गया है, तो इन दोनों के अंतर यानी 1% को हम ट्रैक ट्रैकिंग एरर कहते हैं। अलग-अलग प्रकार के ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर अलग-अलग होता है, इसलिए इटीएफ में निवेश करने से पहले ट्रैकिंग एरर को अवश्य चेक करें।
Read Also — टर्म इंश्योरेंस कैसे चुने? – आसानी से मिलेगा क्लेम
ETF में कैसे निवेश करें?
ETF में निवेश करते वक्त हमें 3 बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
1) एक्सपेंस रेश्यो अवश्य चेक करें
ETF में निवेश करने से पहले हर ETF के एक्सपेंस रेशों को अवश्य चेक करें, क्योंकि ETF का एक्सपेंस रेश्यो जितना काम होगा आपके निवेश पर रिटर्न उतना ही ज्यादा होगा।
2) ट्रैकिंग एरर चेक करें
यदि किसी ETF के ट्रैकिंग एरर उपलब्ध है, तो आप उसके ट्रैकिंग एरर को अवश्य चेक करें और किसी दूसरे ETF से ट्रैकिंग एरर को कंपैरिजन अवश्य करें, इससे आपके इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न ज्यादा मिलने की संभावनाएं रहती है।
3) ETF का लिक्विडिटी अवश्य चेक करें
ETF में निवेश करने से पहले उसके लिक्विडिटी को चेक करना जरूरी होता है, आप यह अवश्य ही चेक करें कि जिस भी ETF में आप निवेश कर रहे हैं, उसमें हर दिन का लगभग 1000 से ज्यादा यूनिट्स वॉल्यूम ट्रेड हो रहा हो।
निष्कर्ष
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा बताए गए इस ETF क्या होता है? (ETF Kya Hota hai) / ETF में निवेश कैसे करें? ब्लॉग में ईटीएफ के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको हमारा यह काम पसंद आया हो, तो इसे आप अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर कीजिएगा।
Disclaimer
इस ब्लॉग में जिस भी प्रकार का नजरिया और निवेश करने के लिए टिप्स बताए गए हैं, यह मुख्यतः लेखक के द्वारा बताए गए है, ना तो इस StockVastu.com वेबसाइट के द्वारा और ना ही इसके मैनेजमेंट के द्वारा। शेयर बाजार में निवेश करना और ट्रेडिंग करना काफी जोखिमों भरा काम है। StockVastu.com आप सबों से यह अनुरोध करता है कि किसी भी प्रकार के निवेश करने से पहले आप अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल जरूर करें या किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें ।