Bond Kya Hota hai ? / Bond Investment & Bond Market in Hindi – संपूर्ण विवरण

Bond Kya Hota hai

शेयर बाजार में कुछ निवेशक ऐसे होते हैं, जो अपने पैसे को अलग-अलग चीजों में निवेश रखना चाहते हैं। यह लोग शेयर बाजार में रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, तो ऐसे में सवाल आता है कि हम अपने पैसे को कहां निवेश करें? जिसमें हमें अच्छा रिटर्न भी प्राप्त हो और रिस्क भी कम हो, इसलिए आज हम आपको अपने इस ब्लॉग में “Bond Kya Hota hai” के बारे में सारी जानकारियां प्रदान करेंगे, ताकि आप अपने आवश्यकता के अनुसार निवेश करें और अच्छा रिटर्न भी प्राप्त करें।

Bond Kya Hota hai

क्या आपको पता है? अमेरिका में बॉन्ड मार्केट शेयर बाजार से बड़ी होती है, वहीं चीन में भी बॉन्ड मार्केट का आकार शेयर बाजार से बड़ा होता है। इसके अलावा कई अलग देश में बॉन्ड मार्केट का आकार शेयर बाजार से बड़ा होता है, लेकिन वही भारत में बाॅन्ड मार्केट का आकार शेयर मार्केट से काफी छोटा है। क्या आपको यह भी पता है? कि कई लोग शेयर बाजार में यह कहते हैं, कि आप अपने डिमैट अकाउंट से बाॅन्ड को खरीद लीजिए, लेकिन आप जितना भी हिस्सा अपने डिमैट अकाउंट से बाॅन्ड में निवेश करते हैं, वह केवल भारत में 1% हिस्सा ही होता है, 99% हिस्सा भारत में ओटीसी बाजार में ट्रेड किया जाता है। इसका मतलब यह साफ है कि आपको बाॅन्ड के बारे में काफी कुछ नहीं पता है, इसलिए आज हम आपको बाॅन्ड के बारे में संपूर्ण जानकारी अपने इस ब्लॉग में देने का प्रयास करेंगे।

Bond Kya Hota hai ? / बाॅन्ड क्या होता है?

Bond Kya h :- कंपनी के पास तीन तरीके के विकल्प होते हैं, जिसकी मदद से वह अपने लिए पैसा ले सकती है। जिसमें पहला होता है आईपीओ इश्यू करके, दूसरा होता है बैंक से लोन लेकर और तीसरा होता है बॉन्ड इश्यू करके। बॉन्ड इश्यू करके पैसा लेने से कंपनी को यह फायदा होता है, कि उसको कम ब्याज पर पैसा मिल जाता है। क्योंकि अगर कंपनियां बैंक से लोन लेकर अपने बिजनेस में लगाएगी तो उसको ज्यादा इंटरेस्ट देना पड़ेगा और कभी-कभी कंपनी के पास शेयर्स कम होते हैं, जिसकी वजह से उनको पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता है इसलिए कंपनियां बाॅन्ड भी इश्यू करती है। बाॅन्ड सिर्फ कंपनियां ही नहीं बल्कि अगर सरकार को भी पैसे की जरूरत होती है, तो वह बॉन्ड इश्यू करके पब्लिक और निवेशकों से पैसा लेती है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए यदि सरकार को 10,000 करोड रुपए की जरूरत हुई, तो वह 10,000 करोड रुपए के बॉन्ड इश्यू करेगी। जिसमें पब्लिक और निवेशक उसे बाॅन्ड में फेस वैल्यू के हिसाब से अपना पैसा लगाएगी और सरकार या कंपनियां एक निश्चित ब्याज की दर पर उसमें निवेश करने वाले पब्लिक और निवेशकों को सालाना पैसा देगी या मेच्योरिटी पीरियड के बाद कंपाउंडिंग होकर वह पैसा आपको एक बार में ही मिल जाता है।

बॉन्ड में निवेश क्यों करें?

जब हम अपना पैसा बैंक के FD में निवेश करते हैं, तो उसमें हम हमें सालाना 5% से 6% तक का रिटर्न मिलता है और बैंक इन पेसै को हमसे लेकर कॉरपोरेट कंपनियां को 10% से 11% के ब्याज पर लोन दे देती है। जिसमें बैंक हमारे ही पैसों पर अपना प्रॉफिट बनती है, इसी समस्या का समाधान करने के लिए कंपनियों के द्वारा बाॅन्ड लाये जाते हैं, ताकि कंपनियां सीधे पब्लिक से एक निश्चित ब्याज दर (उदाहरण के लिए 8 से 9% ब्याज दर) पर पब्लिक से सीधे पैसा लेती है, इसमें कंपनियों को भी फायदा होता है और पब्लिक को भी 2% से 3% ज्यादा ब्याज मिलने की वजह से फायदा होता है।

अगर हम रिटर्न और रिस्क को देखें तो एक तरफ शेयर बाजार में निवेश करने में रिटर्न और रिस्क दोनों ही ज्यादा होते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ एफडी में निवेश करने से रिटर्न और रिस्क दोनों ही कम होते हैं, लेकिन बॉन्ड इन दोनों के बीच में आ जाता है। यानी बाॅन्ड में निवेश करने से मॉडरेट रिस्क और मॉडरेट रिटर्न मिल जाता है।

Bond Use Case

बाॅन्ड का पहला Use Case तो यही है कि इसमें हमें फिक्स्ड रिटर्न मिल जाते हैं, दूसरा हम अपने निवेश को डायवर्सिफाई कर सकते हैं, बाॅन्ड का तीसरा इस्तेमाल काफी सारे लोगों को नहीं पता है, लेकिन हम आपको बता दें कि बाॅन्ड को शेयर बाजार में आप Pledge के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत में HNI निवेशक अपने पोर्टफोलियो का 20% हिस्सा बाॅन्ड में ही निवेश करते हैं।

Bond vs Debentures

बॉन्ड में निवेश करना काफी सुरक्षित होता है, क्योंकि कंपनियां बॉन्ड के माध्यम से पैसा लेने के बदले अपने एसेट्स को गिरवी रखती है। वही सरकारी भी पब्लिक को भरोसा देता है, लेकिन डिबेंचर सुरक्षित और असुरक्षित दोनों हो सकता है, इसलिए जब आप डिबेंचर में निवेश करें, तो आप उसके बारे में अवश्य ही जान ले कि वह सुरक्षित है या नहीं?

Bond Market in India

जैसा हमने आपसे पहले कहा कि विकसित देशों में बाॅन्ड का बाजार शेयर बाजार के या तो बराबर है या उससे बड़ा है। लेकिन भारत में बाॅन्ड मार्केट का बाजार शेयर बाजार यानी इक्विटी बाजार से काफी छोटा है। यदि आप अपने डिमैट अकाउंट से किसी बाॅन्ड में निवेश करते हैं, तो वह बाॅन्ड केवल 1% हिस्सा ही होता है, बाकी 99% हिस्सा भारत में ओटीसी बाजार में ट्रेड किया जाता है। भारत में केवल 8 से 10 करोड़ बाॅन्ड हही एक्सचेंज में हर दिन ट्रेड किए जाते हैं, जबकि ओटीसी बाजार में यह आंकड़ा 8,000 करोड़ से 10,000 करोड़ का होता है। भारत में बाॅन्ड में निवेश मुख्यतः म्युचुअल फंड तथा HNI निवेशकों के द्वारा ही किया जाता है, इसमें रिटेल निवेशकों की भूमिका काफी कम होती है।

रिटेल निवेशक कैसे बाॅन्ड में निवेश कर सकते हैं?

अगर रिटेल निवेशक बाॅन्ड में निवेश करना चाहते हैं तो रिटेल निवेशक GoldenPi प्लेटफार्म के माध्यम से बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं, भारत में बाॅन्ड की ट्रेडिंग के मामले में GoldenPi भारत का सबसे अच्छा प्लेटफार्म है।

GoldenPi में ही निवेश क्यों करें?

1) GoldenPi मैं ओटीसी बाजार के सभी बॉन्ड मिल जाते हैं, जिससे रिटेल निवेशक के पास बहुत सारे विकल्प हो जाते हैं।

2) GoldenPi में जितने भी इंस्टीट्यूशन निवेशक के बाॅन्ड होते हैं, उन बॉन्ड को भी रिटेल निवेशक खरीद सकते हैं।

Tex Free Bond

टैक्स फ्री बाॅन्ड मुख्यतः पब्लिक सेक्टर की कंपनियां इश्यू करती है, जैसे NHAI, REC, PFC, HUDCO इत्यादि कंपनियां। इस प्रकार के बाॅन्ड का इंटरेस्ट रेट समान्यतः एफडी के बराबर ही होता है। लेकिन एफडी में निवेश करने से आपको रिटर्न पर टैक्स लगता है, क्योंकि टैक्स फ्री बाॅन्ड, टैक्स से मुक्त होते हैं तो यहां आपको किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं देना होता है। साथ ही टैक्स फ्री बाॅन्ड में यह फायदा भी होता है, कि इनमें न्यूनतम निवेश की मात्रा ₹10,000 से ही शुरू हो जाती है।

Texation of Bond

सरकार बॉंड्स को दो प्रकार की मान्यता दी हुई है, पहला “लिस्टेड बॉन्ड” जो मुख्यतः एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं और ट्रेड किए जाते हैं, इनको स्टॉक की तरह माना जाता है, यदि किसी निवेशक ने लिस्टेड बॉन्ड को 12 महीने के अंदर बेच दिए तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन यानि STCG माना जाता है, इसमें टैक्स मुख्ता टैक्स स्लैब के आधार पर लिया जाता है तथा यदि 12 महीने के बाद बेचेंगे, तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के अंदर माना जाएगा और उसे पर 10% के हिसाब से टैक्स लगता है।

दूसरे प्रकार का “अनलिस्टेड बॉन्ड” होता है, जो एक्सचेंज पर लिस्ट नहीं होता है, इसमें यदि किसी निवेशक ने अनलिस्टेड बॉन्ड को 2 साल यानी 36 महीने के भीतर बेचा, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन माना जाता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगाए जाते हैं और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी यदि आप अनलिस्टेड बॉन्ड को 2 साल के बाद बेचेंगे तो उसे पर 10% के हिसाब से टैक्स लगेगा।

अक्षर पूछे जाने वाले प्रश्न:-

कूपन रेट क्या होता है?

बॉन्ड बाजार में जब भी कोई नया बाॅन्ड आता है और उसमें जिस प्रकार का इंटरेस्ट रेट निश्चित किया जाता है, उसे ही हम कूपन रेट कहते हैं।

बाॅन्ड फेस वैल्यू क्या होता है?

जब भी कोई बॉन्ड इश्यू किया जाता है, तो उसमें एक बाॅन्ड का कितना दाम रखा गया है, उसे ही हम बाॅन्ड फेस वैल्यू कहते हैं। यह इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इससे हमें यह पता चलता है कि हमें न्यूनतम कितना पैसा बाॅन्ड में निवेश करना होगा।

Bond at Discount क्या होता है?

बाॅन्ड के इंटरेस्ट रेट हमेशा बढ़ते-घटते रहते हैं, तो जब बाॅन्ड, फेस वैल्यू से कम दाम पर मिल रहा होता है, तो उसे हम Bond at Discount कहते हैं। और जब बाॅन्ड, फेस वैल्यू से ज्यादा दाम पर मिलता है तो उसे हम Bond at Premium कहते हैं, तथा जब बाॅन्ड, फेस वैल्यू के बराबर दाम पर मिल रहा होता है, तो उसे हम At Per Velue कहते हैं।

बॉन्ड कॉल ऑप्शन क्या होता है?

जब कंपनियां अपना बॉन्ड इश्यू करती है और उस समय यदि वह कॉल ऑप्शन भी बता देती है, तो इसका मतलब यह होता है, कि उस कॉल ऑप्शन में बताए गए समय के बाद अगर कोई निवेशक चाहे तो अपना बाॅन्ड वापस उसे कंपनी को लौटा सकता है।

उदाहरण के लिए किसी कंपनी ने 10 साल के लिए अपना बॉन्ड इश्यू किया है और उसने 5 साल का कॉल ऑप्शन रखा है, तो 5 साल बाद यदि कोई निवेशक चाहे तो वह अपना बाॅन्ड वापस उसे कंपनी को लौट सकता है।

Read Also — IPO Kya Hota hai (आईपीओ क्या होता है) / SME IPO & Pre IPO in Hindi

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस Bond Kya Hota hai ? / Bond Investment & Bond Market in Hindi – संपूर्ण विवरण ब्लॉग के माध्यम से आप बॉन्ड के बारे में जरूर ही सीख गए होंगे और आप इंसकी मदद से बॉन्ड में निवेश कर पाएंगे। अगर आपको हमारा यह काम पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर कीजिएगा।

Disclaimer

इस ब्लॉग में जिस भी प्रकार का नजरिया और निवेश करने के लिए टिप्स बताए गए हैं, यह मुख्यतः लेखक के द्वारा बताए गए है, ना तो इस StockVastu.com वेबसाइट के द्वारा और ना ही इसके मैनेजमेंट के द्वारा। शेयर बाजार में निवेश करना और ट्रेडिंग करना काफी जोखिमों भरा काम है। StockVastu.com आप सबों से यह अनुरोध करता है कि किसी भी प्रकार के निवेश करने से पहले आप अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल जरूर करें या किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें ।

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