अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखें? यह सवाल अक्सर शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों के मन में आता है, और यह सवाल भी काफी हद तक सही है, क्योंकि निवेश करने के लिए आपको कई प्रकार के स्टॉक के बारे में जानना होता है, उनके बारे में रिसर्च करना होता है, फिर जब तक उस स्टॉक में आप निवेश रहेंगे, उनके बारे में हमेशा जानते रहना पड़ता है, उन्हें फॉलो करना पड़ता है। यह सारी चीज निवेश को एक मुश्किल काम बनती है।
इसके अलावा शेयर बाजार में अलग-अलग प्रकार के निवेशक होते हैं, कुछ के पास अनुभव होता है, तो कुछ के पास अनुभव की काफी कमी होती है और ऐसे में इन दोनों प्रकार के लोगों का पोर्टफोलियो में स्टॉक अलग-अलग संख्या में होते हैं। तो इसका मतलब है कि हमें अपने अनुसार पोर्टफोलियो में अलग-अलग संख्या में स्टॉक को रखने की जरूरत होती है। इसलिए आज हम लोग इस ब्लॉग में प्रैक्टिकल और साइंटिफिक तरीके से यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमें अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखने की जरूरत है।
अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखें?, इस सवाल का जवाब जानने से पहले आपको यह अवश्य ही पता होना चाहिए, कि हमें अलग-अलग प्रकार के स्टॉक में निवेश करने की जरूरत क्यों होती है?
अलग-अलग स्टॉक में निवेश करने की क्या जरूरत है?
जब आप किसी एक स्टॉक के बारे में रिसर्च करके उसे पर निवेश करते हैं, तो उसमें रिस्क के ज्यादा होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। क्योंकि आप जिस भी स्टॉक में निवेश कर रहे हैं, यदि उस स्टॉक में या उसे सेक्टर में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती है, तो आपको ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यह आपके लिए एक लॉटरी की तरह हो जाता है, जो चला तो आपको बहुत पैसे देगा और अगर नहीं चला तो सारे पैसे गायब।
शेयर बाजार में एक कहावत है कि “रिस्क मैनेजमेंट संभावित रिटर्न से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है”। जब आप अलग-अलग प्रकार के स्टॉक में रिसर्च करके निवेश करते हैं, तो आपका रिस्क डायवर्सिफाई हो जाता है। अगर किसी एक स्टॉक में या एक सेक्टर में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हो भी जाती है और आपको उसमें नुकसान भी हो जाता है, तो फिर भी के पास कई और स्टॉक होते हैं, जो आपको ज्यादा नुकसान होने से बचाते हैं। यानी अगर आसान भाषा में कहे तो अलग-अलग स्टॉक में निवेश करके आप अपने रिस्क को डायवर्सिफाई करते हैं।
अब आपको यह तो समझ में आ गया होगा, कि हमें पोर्टफोलियो बनाने के लिए अलग-अलग स्टॉक में निवेश करने की जरूरत क्यों होती है। तो जैसा हमने आपको कहा था कि हम आपको साइंटिफिक और प्रैक्टिकल तरीके से बताएंगे कि अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखते हैं। तो चलिए हम आपको सबसे पहले मॉडर्न पोर्टफोलियो थ्योरी के बारे में बताते हैं।
मॉडर्न पोर्टफोलियो थ्योरी
1952 में हैरी मार्कोवीज को नोबेल प्राइज मिला था मॉडर्न पोर्टफोलियो थ्योरी बनाने के लिए, इनके अनुसार “अलग-अलग प्रकार की निवेशकों का उनके रिस्क टॉलरेंस के अनुसार अलग-अलग प्रकार के स्टॉक में निवेश किया जा सकता है”। मॉडर्न पोर्टफोलियो थ्योरी का एक बहुत बड़ा सिद्धांत है, कि “हर निवेशक के पास डायवर्सिफाई पोर्टफोलियो का होना अति आवश्यक है, ताकि उनका रिस्क डायवर्सिफाई हो पाए”।
अब आपको मॉडर्न पोर्टफोलियो थिअरी के बारे में जानकारी यह समझ में आ गया होगा, कि आपको अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना पड़ेगा, जिससे आपका रिस्क भी डायवर्सिफाई हो पाए। लेकिन हम यहां पर आपको यह भी बताना चाहते हैं कि रिस्क भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिसमें पहला होता है सिस्टमैटिक रिस्क और दूसरा अनसिस्टमैटिक रिस्क।
सिस्टमैटिक रिस्क
एक ऐसे प्रकार का रिस्क होता है, जिसमें आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ ही स्टॉक के बारे में रिसर्च करके उसने निवेश करते हैं, स्टॉक के कम होने के कारण आपके रिटर्न पर प्रभाव पड़ता है, जिससे आप लंबे समय अंतराल में अच्छा रिटर्न प्राप्त नहीं कर पाते।
अनसिस्टमैटिक रिस्क
अनसिस्टमैटिक रिस्क एक ऐसे प्रकार का रस होता है, जिसमें आप कई सारे स्टॉक में निवेश करके अपना पोर्टफोलियो बनाते हैं और बहोत सारे स्टॉक में निवेश करने की वजह से भी आपके रिटर्न पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि आप बहुत सारे स्टॉक में निवेश करके सिस्टमैटिक रिस्क से ज्यादा रिटर्न का सकते हैं। क्योंकि इसमें आपका रिस्क अलग-अलग स्टॉक में डायवर्सिफाई किया होता है।
यहां पर आपको इन दोनों प्रकार के रिस्क के बारे में जानकारी यह समझ में आ गया होगा, कि यदि आप कम स्टॉक में निवेश करते हैं, तो भी आपके रिटर्न पर प्रभाव पड़ता है और यदि आप ज्यादा स्टॉक में निवेश करते हैं, तो भी आपके रिटर्न पर प्रभाव पड़ता है। अब सवाल यह आता है, कि आप अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखेंगे जिससे आपका रिटर्न पर ज्यादा प्रभाव न पड़े?
अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखें ? / Ideal Stock Market Portfolio
साइंटिफिक अध्ययन के अनुसार “यदि आप अपने पोर्टफोलियो में 15 से 20 स्टॉक में निवेश करेंगे, तो आपका अनसिस्टमैटिक रिस्क 90% तक कम हो जाता है”। लेकिन शेयर बाजार के नए निवेशक को 20 स्टॉक में निवेश करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, तो ऐसे में नए निवेशक कम से कम 10 स्टॉक में निवेश करके अपने रिस्क को डायवर्सिफाई कर सकते हैं।
आपने अब तक यह तो जान लिया कि नए निवेशक को कम से कम 10 स्टॉक में अपने पैसे को डायवर्सिफाई करना और अनुभवी निवेशक को कम से कम 25 से 30 स्टॉक में अपने पैसे को डायवर्सिफाई करना है। चलिए अब हम लोग यह जानते हैं, कि अपने पैसे को कैसे डायवर्सिफाई करना है?
पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कैसे करें?
यदि आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं , तो आप अलग-अलग प्रकार के सेक्टर में या अलग-अलग प्रकार के मार्केट कैप वाले स्टॉक में निवेश करें। आप किसी एक सेक्टर की दो या तीन स्टॉक में निवेश करें, फिर किसी अलग प्रकार के सेक्टर के दो या तीन स्टॉक में निवेश करें और ठीक उसी तरह आप अलग-अलग प्रकार के मार्केट कैप यानी मिडकैप, स्मॉलकैप, लार्ज कैप वाले स्टॉक मैं निवेश करें और ऐसा करके आप अपने रिस्क को अलग-अलग प्रकार के स्टॉक और सेक्टर में रिस्क डायवर्सिफाई कर पाएंगे।
इसके अलावा आप अपने पोर्टफोलियो को म्युचुअल फंड्स, बॉन्ड आदि प्रकार के असेट्स में भी निवेश करके डायवर्सिफाई कर सकते हैं। म्युचुअल फंड्स में भी अलग-अलग प्रकार के फंड्स होते हैं, जैसे बड़े कैप फंड्स, फ्लेक्सी कैप फंड्स, मिडकैप फंड्स इत्यादि। आप अलग-अलग प्रकार के फंड्स में भी निवेश करके अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं।
Read Also :- 2024 में SIP के लिए सबसे ज्यादा रिटर्न वाले म्युचुअल फंड्स
निष्कर्ष
हमने आपको अपने इस अपने पोर्टफोलियो में कितने स्टॉक रखें ? / Ideal Stock Market Portfolio ब्लॉग में पोर्टफोलियो को कैसे डायवर्सिफाई करना है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान की है और आप इन जानकारी के आधार पर अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर पाएंगे। अगर आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर कीजिएगा।