शेयर बायबैक क्या होता है? / शेयर बायबैक कैसे काम करता है? – Share Buyback Kya hota hai

शेयर बायबैक क्या होता है

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो यह आपको पता ही होगा, कि शेयर में निवेश करने का एक फायदा यह तो होता है, कि उसे पर आपको रिटर्न मिलता है, लेकिन इसके अलावा आपको कॉरपोरेट एक्शन के माध्यम से अलग प्रकार के कई सारे लाभ भी मिलते हैं, जैसे की कंपनी डिविडेंड देती है। लेकिन डिविडेंड के अलावा भी कई और तरीके के लाभ शेयर निवेशक को मिलते हैं, इन्हीं में से एक शेयर बायबैक भी होता है। इसलिए आज हम लोग इस ब्लॉग में शेयर बायबैक क्या होता है? शेयर बायबैक कैसे काम करता है? तथा शेयर बायबैक के क्या फायदे और नुकसान होते हैं, इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

शेयर बायबैक क्या होता है

शेयर बायबैक क्या होता है? / Share Buyback Kya hota hai

शेयर बायबैक का मतलब इसके नाम में ही छुपा होता है, जब भी कोई कंपनी शेयर बायबैक की घोषणा करती है, तो वह शेयर निवेशकों से अपने ही शेयर को महंगे दाम पर खरीदती है।

देखा जाए तो शेयर बाजार में कोई भी कंपनी इसलिए लिस्ट होती है, ताकि वह अपने शेयर के बदले निवेशकों से पैसे ले सके, लेकिन कंपनी अपने ही शेयर को वापस शेयर निवेशकों से खरीद लेना, ये कहां तक सही होता है? और आखिर ऐसा कंपनी क्यों करती है? चलिए जानते हैं।

कंपनी शेयर को बायबैक क्यों करती है?

ऐसा करने की कई सारे कारण होते हैं जो निम्न है:-

1) कंपनी के पास प्रॉफिट के रूप में ढेर सारे पैसे होते हैं, कंपनियां अक्सर अपने प्रॉफिट के पैसों का इस्तेमाल अपनी कंपनी को ग्रो करने के लिए करती है, लेकिन जब उसके पास कोई तरीका नहीं दिखता है तो वह अपना प्रॉफिट के पैसे का इस्तेमाल अपने ही शेयर को महंगे दाम पर शेयर निवेशकों से खरीदने के लिए करती है, ताकि वह अपने प्रॉफिट के पैसों का सही इस्तेमाल कर सके।

2) कंपनी अपने डिसीजन लेने की क्षमताओं को संकुचित करने के लिए शेयर बायबैक करती है। कई बार ऐसा होता है कि कंपनी के शेयर ढेर सारे निवेशकों के पास चले जाते हैं और हर शेयर होल्डर के पास यह अधिकार होता है, कि वह डिसीजन लेने में अपना वोटिंग अधिकार का इस्तेमाल कर सके, जिससे कंपनी के निर्णय लेने की क्षमताओं पर प्रभाव करता है। इसलिए कंपनी शेयर बायबैक करके निर्णय लेने की क्षमताओं को संकुचित करना चाहती है।

3) कई बार कंपनी के मैनेजमेंट को ऐसा लगता है कि उनके शेयर का दाम अंडरवैल्यूड है, जिसके कारण से कंपनी अपने ही शेयर को कम दाम पर निवेशकों से वापस खरीदती है, ताकि जब उसे शेयर का दाम बढ़ जाए तो कंपनी को फायदा हो।

शेयर बायबैक मुख्यतः दो प्रकार से होता है:-

1) ओपन मार्केट बायबैक

यदि कंपनी के द्वारा शेयर का बायबैक ओपन मार्केट से किया जाता है, तो इसे ओपन मार्केट बायबैक कहते हैं। जिसमें कंपनी को यह घोषित करना पड़ता है, कि वह कितने दाम पर अपने ही शेयर को निवेशकों से बायबैक करना चाहते हैं।

2) टेंडर ऑफर बायबैक

यदि कंपनी शेयर निवेशकों से अपना शेयर सीधे बाय बैक करना चाहती है, तो या केवल टेंडर ऑफर के माध्यम से ही हो सकता है, जिसमें आवेदन करने का एक अलग से पोर्टल होता है।

शेयर बायबैक से कंपनी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

1) कंपनी की EPS और P/E पर फर्क पड़ता है,

जब भी कंपनी शेयर निवेशकों से अपना शेयर बायबैक करती है, तो उसका EPS बढ़ जाता है और P/E घट जाता है, P/E के घटने से उस कंपनी का शेयर अंडरवैल्यूड हो जाता है।

2) शेयर बायबैक से कंपनी के रेपुटेशन पर फर्क पड़ता है,

जब भी कंपनियां अपने शेयर को निवेशकों से बायबैक करती है, तो निवेशकों में या संदेश जाता है कंपनी का भविष्य अच्छा होगा। इसलिए कंपनी अपने शेयर को शेयरहोल्डर से बायबैक कर रही है।

3) शेयर बायबैक से कंपनी के शेयर की संख्या घट जाती है,

डिविडेंड देने पर सभी शेयर होल्डर को लाभ मिलता है, किंतु शेयर बायबैक से उन्हें शेयर होल्डर को लाभ मिलता है, जो अपने शेर को कंपनी के सामने सरेंडर कर देते हैं। और ऐसा करने से कंपनी के शेयर की संख्या घट जाती है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि टाटा कंपनी के पास 100 शेयर है, जिसमें से वह अपना 20 शेयर शेयरहोल्डर से बायबैक करना चाहती है, तो शेयर बायबैक करने के बाद टाटा कंपनी के पास अब 80 शेयर ही बच जाते हैं, जिससे शेयर की संख्या घट जाती है।

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निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं, कि हमारे द्वारा बताए गए इस शेयर बायबैक क्या होता है? / शेयर बायबैक कैसे काम करता है? – Share Buyback Kya hota hai ब्लॉग में आपको शेयर बायबैक के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको हमारा यह ब्लॉक पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर कीजिएगा।

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